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भारत ने ट्रंप के बयान पर कहा, अपनी जरूरतों को पूरा करने के बाद होगा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन देने पर विचार

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ट्रम्प ने शनिवार को कहा था- मोदी से हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन दवा की खेप देने का आग्रह किया; सोमवार को धमकी देते दिखे विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को जवाब- हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन और पैरासिटामॉल कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में भेजी जाएंगी New Delhi: विदेश मंत्रालय ने ट्रंप के बयान को अधिक तवज्जो देने से मना करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर बेवजह विवाद खड़ा किया जा रहा है। ट्रंप ने अमेरिका में दिये अपने बयान में कहा था कि अगर भारत ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (hydroxychloroquine) पर से प्रतिबंध नहीं हटाया तो अमेरिका भी जवाबी कार्रवाई कर सकता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने इसके बाद उठे विवाद पर कहा कि यह किसी भी सरकार का दायित्व होता है कि पहले वह सुनिश्चित करे कि उसके अपने लोगों के पास दवा या इलाज के हर जरूरी संसाधन उपलब्ध हों। इसी के मद्देनजर शुरू में कुछ एहतियाती कदम उठाए गए थे और कुछ दवाओं (hydroxychloroquine) के निर्यात को प्रतिबंधित किया गया था। बाद में स्थिति की समीक्षा की गयी और इस बात की तसल्ली की गयी कि देश के अंदर की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त दवा है, तब जाकर इन अधिकतर प्रतिबंध को हटा लिया गया। सोमवार को 14 दवाओं पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया गया। जहां तक पैरासिटामोल और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (hydroxychloroquine) की बात है वह लाइसेंस कैटेगरी में रहेगी और उसकी मांग पर लगातार नजर रखी जाएगी। लेकिन अगर मांग के अनुरूप आपूर्ति रही तो फिर कुछ हद तक निर्यात की अनुमति दी जा सकती है। विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि कोरोनावायरस महामारी के समय भारत ने हमेशा कहा है कि ऐसे कठिन हालात में पूरे विश्व को एक होकर इससे लड़ना होगा। इसमें मानवीय पहलू के बारे में भी सोचना होगा। भारत ने कहा कि वह इन दवाओं को उन जरूरतमंद देशों को भी भेजेगा जो इस बीमारी से सबसे अधिक ग्रसित हैं। विदश मंत्रालय ने कहा कि ऐसे कठिन परिस्थिति में किसी तरह के अनर्गल विवाद को खड़ा नहीं किया जाना चाहिए। ‘भारत के फैसले से आश्चर्यचकित हूं’ ट्रम्प ने कहा कि अगर भारत हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन (hydroxychloroquine) के निर्यात पर लगा बैन नहीं हटाता तो उस पर कार्रवाई की जा सकती है। मुझे कोई कारण नहीं दिखता कि भारत ने अमेरिका के दवा के ऑर्डर को रोककर क्यों रखा है? अमेरिका के भारत से अच्छे रिश्ते हैं। आश्चर्यचकित हूं कि इन सबके बावजूद वहां की सरकार हमें दवा भेजने को लेकर फैसला नहीं कर पा रही। शनिवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत से गुहार लगाई थी कि बीमारी से निपटने के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन की खेप भेजें। अमेरिका में 10 हजार से ज्यादा मौतें इटली और स्पेन के बाद अमेरिका में मौतों का आंकड़ा 10 हजार से ज्यादा हो गया है। सबसे ज्यादा प्रभावित न्यूयॉर्क स्टेट में पांच हजार मौतें हुई हैं। इनमें आधा से ज्यादा केवल न्यूयॉर्क सिटी में है। वहीं, राज्य में एक लाख 20 हजार से ज्यादा संक्रमित हैं और 16 हजार से ज्यादा लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वहीं, अमेरिका ने एशियाई देश में फंसे अपने 29 हजार नागरिकों को 13 विशेष विमानों से अपने देश बुला लिया है। ये नागरिक साउथ एंड सेंट्रल एशियाई देश भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, उज्बेकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान में फंसे हुए थे। यह जानकारी दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों की अमेरिका की सीनियर डिप्लोमेट एलिस वेल्स ने प्रेस वार्ता में दी। अकेले भारत में ही 1300 अमेरिकी नागरिक थे।

Report :- Desk
Posted Date :- 07-04-2020

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