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माता के नौ स्वरूप अपने भक्तों को अलग अलग तरह की शक्तियाँ प्रदान करते हैं

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साथियों, 
        आज चैत्रीय नवरात्रि का पहला दिन होने के साथ ही हमारी भारतीय विक्रमी संवतसर नववर्ष का पहला दिन है।आज हम सबसे पहले अपने सभी सोशल मीडिया से जुड़े पाठकों शुभचिन्तकों अग्रजों को नव संवतसर एवं नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ एवं बधाई दे रहें हैं ।इस पावन मंगल वेला पर हम ईश्वर से कामना करते हैं कि नववर्ष आप सबके जीवन को आनन्दित मंगलमय करके  प्रगति का संवाहक बनकर आपको लक्ष्य प्रदान करने मे सहायक बने। नववर्ष के साथ आज से ही आदिशक्ति जगत जननी माँ जगदम्बा दुर्गा के नवरात्रि भी शुरू हो रहें हैं ।आदिशक्ति के यह नव स्वरूप भक्तों के दुख दारिद्र को दूर करके धरती पर पापाचार अनाचार समाप्त करके नारी शक्ति को अपमानित करने वाले निशाचरों का मान मर्दन करने वाले हैं।इसीलिए नारी को भी शक्तिस्वरूपा  और हर कन्या को देवी का प्रत्यक्ष स्वरूप माना जाता है ।इस धरती पर जब जब अनाचार पापाचार बढ़ा है और नारी को अपमानित किया गया है तब तब ईश्वरीय शक्तियों का इस धरती पर अवतरण हुआ है।नारी अपमान व अत्याचार का मतलब अपनी तबाही की व्यवस्था खुद करने जैसा माना जाता है ।आजकल इस धरती पर एक दो नहीं बल्कि तमाम मधु कैटभ व महिषासुर जैसे निशाचर इस पवित्र धरती को नापाक कर रहें हैं ।बिना शक्ति के इनका पतन संभव नहीं है। ईश्वरीय  शक्ति का नाम ही जगत जननी माँ दुर्गा भवानी है ।आदिमाता ही प्रत्यक्ष हैं जो अपने बच्चों का पालन पोषण और रक्षण करती हैं ।ब्रह्मा विष्णु महेश भी इन्हीं शक्तियों के वशीभूत रहतेे हैं और इन शक्तियों के सामने वह भी हमेशा नतमस्तक व असहाय रहते हैं।ब्रह्मा विष्णु महेश को भी आदिमाता ने ही पैदा किया है क्योंकि ईश्वर कभी खुद प्रत्यक्ष नहीं आता है।जिसने माँ की इच्छानुसार कार्य नहीं किया और पिता से मिलने की जिद्द की उसकी दशा ब्रह्मा जैसी हुयी।आदिमाता के समझाने के बावजूद ब्रह्मा जी की परमपिता से मिलने की जिद्द के कारण उन्हें मां का  श्राप झेलना पड़ा और उसका असर आज तक भी दिखाई पड़ रहा है।आज भी कोई अकेले ब्रह्मा जी की कोई पूजा जल्दी नहीं करता है और सृष्टि के रचियता होने के बावजूद भगवान विष्णु व महेश के बिना उनका अपना कोई वजूद नहीं रहता है।नवरात्रि में माता के नौ स्वरूपो की क्रमवार पूजा अर्चना की जाती है जिसके अलग अलग फल मिलते हैं।नवरात्रि व्रत अनुष्ठान करने वालों में महिलाओं की भागीदारी आज भी पुरूषों की अपेक्षा अधिक होती है। लोग नवरात्रि के इन नौ दिनों में तमाम तरह के तंत्रों मंत्रो के साथ साधना संकल्प व अनुष्ठान भी करते हैं।वैसे नवरात्रि के इन नौ दिनों में अगर रोजाना एक अवगुण को त्यागने का संकल्प ले लिया जाय तो यह मानव जीवन विकारों से रहित होकर धन्य हो सकता है।नवरात्रि का महापर्व हमें नारी का सम्मान करने के साथ ही उसे देवी स्वरूपा मानने की शिक्षा देता है।नवरात्रि का पर्व अत्याचार अनाचार पापाचार जैसे दुष्कर्म न करने और शक्ति को पहचानकर नारी का अपमान न करके सदैव उसका वंदन करने की प्रेरणा देता है।नारी का सरल स्वरूप मां का तथा सबसे कठोर रूप दुर्गा का होता है। माता के नौ स्वरूप अपने भक्तों को अलग अलग तरह की शक्तियाँ प्रदान करते हैं ।भगवान को जब त्रेतायुग में निशाचरो के वध के लिये धरती पर आना था तो वह भी नौ दिनों की नवरात्रि की आराधना के बाद ही नवमी को अयोध्याधाम में प्रकट हुये थे। क्योंकि बिना शक्ति के निशाचरो वध संभव नहीं था। राम के साथ सीता जी साक्षात जगत जननी थी जिसका कोई हरण या कोई  कैद नहीं कर सकता है। रावण जिस सीता का हरण करके ले गया था वह असली सीता थी ही नही।तुलसी बाबा ने भी लिखा है कि-"जब लौ करौ निशाचर नासा ,तबलौ करौ अग्नि में वासा "। शक्ति ईश्वर का एक स्वरूप होता है क्योंकि वहीं नर है और वहीं नारी है।ईश्वर की इच्छा मात्र ही उसके नर नारी के स्वरूप होते हैं।नवरात्रि के अवसर पर अन्न भोग विलास का त्याग मनुष्य जीवन को अध्यात्मिक उर्जा प्रदान करता है।इधर शक्ति की पूजा का दौर बढ़ा है किन्तु आराधना नहीं बल्कि भक्ति का प्रदर्शन अधिक हो रहा है।लोग देवी स्थानों पर तो जाते हैं लेकिन मन की चंचलता को नियन्त्रित नहीं कर पाते हैं। शक्ति से लोग शक्तिमान धनवान तो हो रहें हैं लेकिन गुणवान नहीं हो पा रहे हैं ।शक्ति का दुरपयोग नहीं बल्कि सदपयोग करना चाहिए।ध्यान रखें कि शक्ति रक्षक पोषक और नाशक तीनों होती है।इसीलिए कहा भी गया है कि  आदिमाता के साथ परमपिता का भी ध्यान व गुणगान करो तभी शक्ति का रचनात्मक उपयोग हो सकता है।धन्यवाद।। भूलचूक गलती माफ।। सुप्रभात / वंदेमातरम् / गुडमार्निग / शुभकामनाएँ।। ऊँ भूर्भवः स्वः---/ऊँ नमः शिवाय ।।।

Report :- Desk
Posted Date :- 28/03/2017

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